भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
सृष्टि ने ये कैसा अभिशप्त बीज बोया
व्योम की व्यथा को निरख इंदर्धनुष इन्द्रधनुष रोया
प्यासे को दे अंजुरी भर न पानी
भगीरथ का करें उपहास