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हम श्रम करते रहे और तुम आदेश,
 
हमारा सिर्फ कर्त्तव्य रहा और तुम्हारा अधिकार
 
हम हमेशा हाशिए पर रहे और तुम केन्द्र में,
 
हम निहत्थे रहे और तुम शास्त्र-शस्त्र से सुसज्जित
 
लेकिन अब हम चुप नहीं रहेंगे,
 
हम अपने अवसर और सम्मान लेकर रहेंगे
 
तुम जिस पथ से करते रहे शोषण व अत्याचार,
 
वही सत्ता-पथ बनेगा दलितों की मुक्ति का आधार</poem>