भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=त्रिपुरारि कुमार शर्मा
}}
{{KKCatKavita}}
<Poem>
समेट लेता हूँ अपने दुख शब्दों में कहीं
क्योंकि मेरा दुख शब्दों में नहीं समा सकता ।
<Poem>
Mover, Reupload, Uploader
301
edits