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Kavita Kosh से
ज़िन्दगी कैसे कटी तेरे बिना, कुछ मत पूछ
तेरे छूते ही तड़प उठता है साँसों का सितार
ज़िन्दगी का बड़ा लंबा है सफ़र, जाने दे
सुबह आयेगा कोई पोछने आँसू भी , 'गुलाब!'
रात जिस हाल में जाती है, गुज़र जाने दे
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