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Kavita Kosh से
घबरा गये हैं आपकी इस बेरुख़ी से हम
हर शख्श शख़्स आइना है हमारे ख़याल का
मिलते गले-गले हैं हरेक आदमी से हम
आयेगा कुछ नज़र तो कहेंगे पुकार करपुकारकर
आँखें मिला रहे हैं अभी ज़िन्दगी से हम