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|सारणी=शृंगार-लतिका / द्विज/ पृष्ठ 2
}}
<poem>
दुर्मिला सवैया
(व्यंग्य से वसंत को आशीर्वाद देना)
मिलि माधवी आदिक फूल के ब्याज, बिनोद-लवा बरसायौ करैं ।
रचि नाचि लतागन तानि बितान, सबै बिधि चित्त-चुरायौ करैं ॥
’द्विजदेव’ जू देखि अनौखी प्रभा, अलि-चारन कीरति गायौ करैं ।
चिरजीवौ बसन्त सदाँ ’द्विजदेव’, प्रसूनन की झरि लायौ करैं ॥२८॥
</poem>
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दुर्मिला सवैया
(व्यंग्य से वसंत को आशीर्वाद देना)
मिलि माधवी आदिक फूल के ब्याज, बिनोद-लवा बरसायौ करैं ।
रचि नाचि लतागन तानि बितान, सबै बिधि चित्त-चुरायौ करैं ॥
’द्विजदेव’ जू देखि अनौखी प्रभा, अलि-चारन कीरति गायौ करैं ।
चिरजीवौ बसन्त सदाँ ’द्विजदेव’, प्रसूनन की झरि लायौ करैं ॥२८॥
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