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Kavita Kosh से
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<div style="font-size:15px; font-weight:bold">सप्ताह की कविता</div>
<div style="font-size:15px;">'''शीर्षक : सपने में ('''रचनाकार:''' [[डॉ० रणजीत]])</div>
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जानबूझ कर दुःखी करने की बात है
कि भटकता रहूँ मैं सारी रात तुम्हारे साथ
और सवेरा होते-होते अदृश्य हो जाओ तुम
बिना कुछ कहे सुने