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<poem>
'''दोहा'''
''(श्रीराधा-माधव की एकरूपता-वर्णन)''

कबहुँक राधा के ललित, अंगन की दुति देखि ।
करैं बचन-रचना बिबिध, सुमुखि सुसखी बिसेखि ॥३९॥
</poem>
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