भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=द्विज }} {{KKPageNavigation |पीछे=रसिक छमैंगे भूल / शृंगार-लति…
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=द्विज
}}
{{KKPageNavigation
|पीछे=रसिक छमैंगे भूल / शृंगार-लतिका / द्विज
|आगे=
|सारणी=शृंगार-लतिका / द्विज/ पृष्ठ 6
}}
<poem>
'''सोरठा'''
''(कवि संतोष-वर्णन)''

रसिक रीझिहैं जानि, तौ ह्वै है कबितौ सुफल ।
न तरु सदाँ सुखदानि, श्री राधा-हरि कौ सुजस ॥६५॥
</poem>
916
edits