भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
1,323 bytes removed,
18:42, 8 जुलाई 2011
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=गुलाब खंडेलवाल
|संग्रह=सौ गुलाब खिले / गुलाब खंडेलवाल
}}
[[category: ग़ज़ल]]
<poem>
हमसे किसी का प्यार छिपाया न जायेगा
इतना हसीन बोझ उठाया न जायेगा
मेंहदी लगी हुई है उमंगों के पाँव में
सपने में भी तो आपसे आया न जायेगा
लय-ताल टूट जाते हैं आते ही उनका नाम
जीवन का गीत हमसे तो गाया न जायेगा
हँसने की बात और थी, रोने की बात और
पत्थर के दिल में फूल खिलाया न जायेगा
यों तो किसी के मन से उतारे हुए हैं हम
आयेंगे याद फिर तो भुलाया न जायेगा
लहरा रहे हैं आपकी आँखों में अब गुलाब
काँटों से ज़िन्दगी को बचाया न जायेगा
<poem>