भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
प्यार तो था बस एक बहाना, मेरे साथी, मेरे मीत!
झाँझर नैया, डांड़ें डाँड़ें टूटीं, नागिन लहरें, तेज हवा
टिक न सकेगा पाल पुराना, मेरे साथी, मेरे मीत!