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|रचनाकार=गुलाब खंडेलवाल
|संग्रह=पँखुरियाँ गुलाब की / गुलाब खंडेलवाल
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<poem>
कितने दिए बुझाए होंगे
तब साजन घर आये होंगे
 
नाहक़ प्यार का दम भरना है
कल ये बोल पराये होंगे
 
साज़ सभी ने छेडा, लेकिन
सुर में हमीं रह पाये होंगे
 
हैरत है जब तक न मिले थे
हम क्या करते आये होंगे
 
इतने लाल गुलाब कहाँ थे!
तुमने नयन मिलाये होंगे
<poem>
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