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Kavita Kosh से
तो हम भी तेरे ही दिल का सरगम छिपाके ग़ज़लों में रख रहे हैं
भले ही दामन छुड़ा रही अब फिराके मुँह बेवफा बेवफ़ा जवानी
हसीन रंगों का हम वो मौसम छिपाके ग़ज़लों में रख रहे हैं