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नया पृष्ठ: सुबह शाम ... समुद्र से उठता है सफ़ेद झक्क धुंआ ... लेकिन समुद्र से नही…
सुबह शाम ...
समुद्र से उठता है सफ़ेद झक्क धुंआ ...
लेकिन समुद्र से नहीं आती खांसते खांसते बेदम होने वाली
आवाजें ..
इस बार कहूँगा माँ से चली चले मेरे साथ
और
पका कर देखे
समुद्र पर रोटियां
के जहाँ
धुंआ होता है अत्यधिक
लेकिन नहीं होती भीतर तक
हिला देने वाली खांसी.....
माँ जब पकाएँगी रोटियाँ
उनमे होगा स्वाद समुद्र का
और कितना किफायती और स्वादिष्ट होगा
रोटियाँ का पकना ]\
के नमक रोटियों में अपने आप पहुचेगा ...

समुद्र पर खाते हुए रोटियाँ..
पहुचेगा स्वाद अपने आप भीतर भीतर
और हम स्वाद का समुद्र हो जायेंगे
एक दिन .......
एक दिन ........