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Kavita Kosh से
मैं सौ बार मरूँ यदि मेरे मरने से भारत बचता है'
हिन्दू-मुसलमान दोनों की आँखों से बहता था पानी
'बचें प्राण बापू के, भगवन!' कहीं नमाज़, कहीं थी पूजा