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राजा राम अयोध्या के थे! हुए विदा जो उसको छोड़
त्रेता में ही! कृष्ण गँवा निज प्राण व्याध के शर द्वारा
चले गये सुरधाम! नहीं! तो फिर किस कैसे हमसे मुँह मोड़
बापू दूर चले जायेंगे प्रेम भुलाकर यह सारा!
त्रेता का तापस, द्वापर का वही सारथी, कलि में आज
संत बना सेगाँव-गाँव का पहने सित खद्दर का साज साज़
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