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नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=वत्सला पाण्डे |संग्रह= }} {{KKCatKavita}}<poem>हरसिंगार की ब…
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=वत्सला पाण्डे
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}<poem>हरसिंगार की
बारिश में
तुम लेटे थे
मैं बैठी थी
रची जा रही थी
एक और सृष्टि
तुम्हारी पीठ पर
पत्ते की नोंक से
लिख बैठी थी
प्यार
उतरती गई
किसी गहराई में
भीगती रही
धरती
उलीचती रही
सागर
तुमने
करवट बदली
लोप हो गई
मैं
</poem>
{{KKRachna
|रचनाकार=वत्सला पाण्डे
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}<poem>हरसिंगार की
बारिश में
तुम लेटे थे
मैं बैठी थी
रची जा रही थी
एक और सृष्टि
तुम्हारी पीठ पर
पत्ते की नोंक से
लिख बैठी थी
प्यार
उतरती गई
किसी गहराई में
भीगती रही
धरती
उलीचती रही
सागर
तुमने
करवट बदली
लोप हो गई
मैं
</poem>