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Kavita Kosh से
मैं नहीं हूँ पार्वती , मैं श्रीमती
विष तज कर बनो बांसुरी धारी
'''मूल बंगला से अनुवाद : अनामिका घटक'''
'''अब यही कविता मूल बंगला में पढ़िए'''