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खेतों में फैला है श्यामल धूल भरा मैला-सा आँचल गंगा जमुना में आंसू जल मिट्टी कि प्रतिमा उदासिनी, #REDIRECT [[भारतमाता ग्रामवासिनी दैन्य जड़ित अपलक नत चितवन अधरों में चिर नीरव रोदन युग-युग के तम से विषण्ण मन वह अपने घर में प्रवासिनी, भारतमाता ग्रामवासिनी तीस कोटी संतान नग्न तन अर्द्ध-क्षुभित, शोषित निरस्त्र जन मूढ़, असभ्य, अशिक्षित, निर्धन नतमस्तक तरुतल निवासिनी, भारतमाता ग्रामवासिनी स्वर्ण शस्य पर पद-तल-लुंठित धरती-सा सहिष्णु मन कुंठित क्रन्दन कम्पित अधर मौन स्मित राहु ग्रसित शरदिंदु हासिनी, भारतमाता ग्रामवासिनी चिंतित भृकुटी क्षितिज तिमिरान्कित नमित नयन नभ वाष्पाच्छादित आनन श्री छाया शशि उपमित ज्ञानमूढ़ गीता-प्रकाशिनी, भारतमाता ग्रामवासिनी सफ़ल आज उसका तप संयम पिला अहिंसा स्तन्य सुधोपम हरती जन-मन भय, भव तन भ्रम जग जननी जीवन विकासिनी, भारतमाता ग्रामवासिनी/ सुमित्रानंदन पंत]]
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