भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
हर कूचे और गली गली में क्यूँत सन्नाँट छाया?
जात पाँत का भेद मि‍टा क्या राम राज्य है आया?
रख कर मुँह को बंद जी रहे क्योंा क्यों आतंकी साया ?
ग्लोबल वार्मिंग,भ्रष्टाचार,महँगईमहँगाई,प्रदूषण,आबादी।याद रखेगा हर प्राणी अब जल -थल -नभ की बरबादी।रहे न हम गर यदि‍ जागरूक पछतायेंगे जी आजादी।
हर हाल न मानव मूल्य सहेज सके तो कैसी आज़ादी?
भाग्य वि‍धाता,सत्यमेव जयते,जन गण मन गाते।
स्म रस्म रि‍वाज़ नि‍भाते और हर उत्सव पर्व मनाते।
तब से भारत माता की जय कह कर जोश बढ़ाते।