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|रचनाकार=वीरेन्द्र खरे 'अकेला'
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हर तरफ़ तक़रार ही तक़रार
ढूंढ़ कर लाओ ज़रा सा प्यार
कर लिया संवेदनाओं का हरण किसने
है बड़ी घातक समय की मार
ढूंढ़ कर लाओ ज़रा सा प्यार</poem>