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|रचनाकार=वीरेन्द्र खरे 'अकेला'
|संग्रह=सुबह की दस्तक / वीरेन्द्र खरे 'अकेला'
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<poem>
जीतने की अगरचे आस नहीं
मैंने छोड़ा मगर प्रयास नहीं
मन का पंछी है क़ैद पिंजरे में
ऐ ‘अकेला’ कहीं निकास नहीं</poem>