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रहेगी क्या आबरु हमारी जो तू यहाँ बेक़रार होगा ।
मैं जुल्मत-ए-शब में लेके निकलूंगा अपने दरमांदा<ref>थका</ref> कारवां को
शरर फसां होगी आह मेरी, नफ़स मेरा शोला बार होगा ।