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Kavita Kosh से
तन्हा कैसे कटेगी रात कहो
पास बैठो कभी तो पल दो पलपहलू में
कुछ हमारी कुछ अपनी बात कहो
हो गया होगा रो के दिल हल्का
ग़म से पाई नहीं भी मिल गयी नजात कहो
ज़िन्दगी को सुकून देती हैमें कहाँ सुकूने-दिल
मौत को राहते-हयात कहो