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उसके लिए / आग्नेय

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{{KKRachna
|रचनाकार=आग्नेय
|संग्रह=मेरे बाद मेरा घर/ आग्नेय; लौटता हूँ उस तक / आग्नेय
}}
{{KKCatKavita}}<poem>
रात में जिसे प्यार करता हूँ
 
दिन में उससे ही घृणा करता हूँ
 
अंधकार में ही खड़े रहें सब
 
स्थगित रहे सूर्य का प्रकाश
 
जब तक मैं बचा हूँ
 
जानता हूँ रचा गया है सूर्य
 
जीवन के लिए
 
अंधकार भी तो रचा गया है
 
प्रेम के लिए
 
अंतत: मुझे अंधकार में
 
उसके साथ
 
उसके प्रेम के लिए खड़ा रहना है ।
</poem>
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