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{{KKRachna
|रचनाकार=सांवर दइया
|संग्रह=आखर री औकात / सांवर दइया
}}
[[Category:मूल राजस्थानी भाषा]]
{{KKCatKavita}}<poem>ऊंचा व्हिया म्हे
अखबारी आंकड़ा
टाबर भूखा
०००
गंगा किनारै
तिरसा मरग्या म्हे
थांरै राज में
०००
अंधारो बैरी
उजास बाढै आज
बीं सागै म्हांनै
०००
तपै धरती
बादळ बरसैला
ना पूछो- कद ?
०००
मुळकूं आज
होठां रैवै नीं रैवै
कांईं ठा काल
०००
</poem>
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|रचनाकार=सांवर दइया
|संग्रह=आखर री औकात / सांवर दइया
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[[Category:मूल राजस्थानी भाषा]]
{{KKCatKavita}}<poem>ऊंचा व्हिया म्हे
अखबारी आंकड़ा
टाबर भूखा
०००
गंगा किनारै
तिरसा मरग्या म्हे
थांरै राज में
०००
अंधारो बैरी
उजास बाढै आज
बीं सागै म्हांनै
०००
तपै धरती
बादळ बरसैला
ना पूछो- कद ?
०००
मुळकूं आज
होठां रैवै नीं रैवै
कांईं ठा काल
०००
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