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{{KKRachna
|रचनाकार=वीरेन्द्र खरे 'अकेला'
|संग्रह=सुबह की दस्तक / वीरेन्द्र खरे 'अकेला'
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
'''(पाक समर्थित आतंकवाद के
शान्तिपूर्ण समाधान के लिए एक प्रार्थना-
संदर्भः- आगरा शिखर वार्ता)
'''
हे प्रभु,
हम नहीं चाहते युद्ध,
विनाश का तांडव
न हमारा स्वभाव है
न समस्या का हल
हमारा अद्वितीय धैर्य
तुमसे छिपा नहीं है
घोर हिंसक पशु
हम पर
वर्षों से, घात लगाकर
हमले करते आ रहे हैं
हमने समय समय पर
बचाव की मुद्राएँ तो अपनाई हैं
किन्तु कभी भी पलटकर
वार नहीं किया
हम
अभी भी नहीं चाहते
पलट कर वार करना
पशुआंे की हत्याएँ भी
हमें दुखी करती हैं
हे प्रभु
तुम जानते हो
हम शान्ति के पुजारी हैं
हमने
पशुता के उन्मूलन के लिए भी
चुना है स्वस्थ बातचीत का रास्ता
हे प्रभु
घोर हिंसक पशु और आदमी के बीच
बातचीत की कोशिशें
सफल कर देना
तीन पाव लड्डुओं का
भोग चढ़ाऊँगा
तुम्हारे गुण गाऊँगा ।
<poem>
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|रचनाकार=वीरेन्द्र खरे 'अकेला'
|संग्रह=सुबह की दस्तक / वीरेन्द्र खरे 'अकेला'
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<poem>
'''(पाक समर्थित आतंकवाद के
शान्तिपूर्ण समाधान के लिए एक प्रार्थना-
संदर्भः- आगरा शिखर वार्ता)
'''
हे प्रभु,
हम नहीं चाहते युद्ध,
विनाश का तांडव
न हमारा स्वभाव है
न समस्या का हल
हमारा अद्वितीय धैर्य
तुमसे छिपा नहीं है
घोर हिंसक पशु
हम पर
वर्षों से, घात लगाकर
हमले करते आ रहे हैं
हमने समय समय पर
बचाव की मुद्राएँ तो अपनाई हैं
किन्तु कभी भी पलटकर
वार नहीं किया
हम
अभी भी नहीं चाहते
पलट कर वार करना
पशुआंे की हत्याएँ भी
हमें दुखी करती हैं
हे प्रभु
तुम जानते हो
हम शान्ति के पुजारी हैं
हमने
पशुता के उन्मूलन के लिए भी
चुना है स्वस्थ बातचीत का रास्ता
हे प्रभु
घोर हिंसक पशु और आदमी के बीच
बातचीत की कोशिशें
सफल कर देना
तीन पाव लड्डुओं का
भोग चढ़ाऊँगा
तुम्हारे गुण गाऊँगा ।
<poem>