भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=चंद्रप्रकाश देवल |संग्रह= }} {{KKCatMoolRajasth...' के साथ नया पन्ना बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=चंद्रप्रकाश देवल
|संग्रह=
}}
{{KKCatMoolRajasthani‎}}
{{KKCatKavita‎}}<poem>सांसो से बुनी जाती
चदरिया के दो धागों के बीच
जब गफलत से छूट जाती है
अनुपात से अधिक दूरी
इसी खाली जगह में
आ बैठती है मृत्यु!

प्रत्येक खाली जगह में
हर एक शून्य में
निवास करती है वह अदीठ शह!


हम जब विराने में
अथवा अंधेरे में
खण्डहर में
होते हैं प्राय: भयभीत जहां
वहां हम भरे पूरे जीवन में
खाली जगह होने की संभावना से डरते हैं!

मृत्यु का क्या
वह जहां पाती है ठौर जम जाती है!
ऐसा सोच कर हम खुद से डरते हैं!
वरना
मृत्यु किसी को डराती नहीं
वह तो सबसे डरती स्वयं दुबकती है यहां - वहां!</poem>
Delete, Mover, Reupload, Uploader
5,484
edits