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{{KKRachna
|रचनाकार=विमलेश त्रिपाठी
|संग्रह= हम बचे रहेंगे. / विमलेश त्रिपाठी
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<poem>
तब देर रात गए एक पागल तान
अँधेरे के साँवर कपोलें कपोलों पर फेनिल स्पर्श करती थीं
बसंती झकोरों में मदहोश एक-एक पत्तियाँ
लयबद्ध नाचती थीं