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”काज़िम” जरवली का जन्म को १५ जून १९५५ लखनऊ के निकट जरवल मे एक देशभक्त स्वतंत्रता सेनानी परिवार मे हुआ तथा पालन पोषण व शिक्षा लखनऊ मे हुई । उन्होंने १९७७ मे लखनऊ विश्विद्यालय से उर्दू मे स्नातकोत्तर परीक्षा उत्तीर्ण की तथा गोल्ड मेडल प्राप्त किया ।
लखनऊ के उर्दू अनुकूल वातावरण ने काज़िम जरवली की छुपी हुई प्रतिभा को निखार दिया तथा साज सवांर कर एक सशक्त उर्दू शायर तैयार किया । काज़िम जरवली ने कम उम्र से ही उर्दू शायरी शुरू कर दी थी और धीरे धीरे भारत के विभिन्न भागो मे संपन्न मुशायरो मे भाग लेना शुरू किया । उन्होंने विदेशो मे, जैसे - पाकिस्तान व् हांगकांग मे भी अपने उर्दू कलाम का लोहा मनवाया।
अपने शेरो की गहरायी व् मर्म की वजह से वो शायरों और श्रोताओ मे “शायर-ए-फ़िक्र” की उपमा से जाने जाते हैं । विकिपीडिया के लखनऊ पेज में काज़िम जरवली का नाम वर्तमान के मुख्य उर्दू शायर के रूप मे प्रस्तुत किया गया है। उनकी रचनाओ के कई संस्करण प्रकाशित हो चुका हैं । रचनाकार वर्तमान मे शिया कॉलेज लखनऊ मे कार्यरत हैं ।
लखनऊ के उर्दू अनुकूल वातावरण ने काज़िम जरवली की छुपी हुई प्रतिभा को निखार दिया तथा साज सवांर कर एक सशक्त उर्दू शायर तैयार किया । काज़िम जरवली ने कम उम्र से ही उर्दू शायरी शुरू कर दी थी और धीरे धीरे भारत के विभिन्न भागो मे संपन्न मुशायरो मे भाग लेना शुरू किया । उन्होंने विदेशो मे, जैसे - पाकिस्तान व् हांगकांग मे भी अपने उर्दू कलाम का लोहा मनवाया।
अपने शेरो की गहरायी व् मर्म की वजह से वो शायरों और श्रोताओ मे “शायर-ए-फ़िक्र” की उपमा से जाने जाते हैं । विकिपीडिया के लखनऊ पेज में काज़िम जरवली का नाम वर्तमान के मुख्य उर्दू शायर के रूप मे प्रस्तुत किया गया है। उनकी रचनाओ के कई संस्करण प्रकाशित हो चुका हैं । रचनाकार वर्तमान मे शिया कॉलेज लखनऊ मे कार्यरत हैं ।