भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

दोहे / ”काज़िम” जरवली

1,782 bytes added, 14:02, 8 नवम्बर 2011
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=काज़िम जरवली |संग्रह= }} {{KKCatKatta}} <poem>ये ...' के साथ नया पन्ना बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=काज़िम जरवली
|संग्रह=
}}
{{KKCatKatta}}



<poem>ये तो वक़्त बताएगा किसका गहरा वार,
एक जानिब तलवार है एक जानिब किरदार ।।
***

गर सर को मिल जाएगी तेरे दर की धूल,
अंगारे बन जायेंगे पाँव के नीचे फूल ।।
***

एक यही बस आएगा रोज़े महशर काम,
पाया है जो पाँच से मुट्ठी भर इस्लाम ।।
***

एक आंसू किरदार की मैली चादर धोये,
जिसको जन्नत चाहिए मजलिस मे वो रोये ।।
***

ये हमको मालूम है ये हमको है याद,
जितना उसको रोयेंगे उतने होंगे शाद ।।
***

लेता है अंगड़ाईयाँ जीने का एहसास,
हर मुश्किल का तोड़ है एक नाम-ऐ-अब्बास ।।
***

बदला है आशूर को जीवन का हर रूप,
कडवी कडवी छाँव है मीठी मीठी धूप ।।
***

मैंने तेरी राह में लीं यूँ आँखें मूँद ,
रौज़े की देहलीज़ पर जैसे मोम की बूँद ।।
</poem>