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|रचनाकार =रघुवीर सहाय|संग्रह=सीढ़ियों पर धूप में / रघुवीर सहाय
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ये और आया है एक हल्ला, जो बच सकें तो कहो कि बचिए
जो बच न पायें तो क्या करूँ मैं, जो बच गये तो बहुत समझिए
सुकवि की मुश्किल को कौन समझे, सुकवि की मुश्किल सुकवि की मुश्किल
किसी ने उनसे नहीं कहा था कि आइए आप काव्य रचिए।रचिए ।
(1959)
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