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Kavita Kosh से
कभी कोई जो खुलकर हंस लिया दो पल तो हंगामा
कोई ख़्वाबों में आकार आकर बस लिया दो पल तो हंगामा
मैं उससे दूर था तो शोर था साजिश है , साजिश है
उसे बाहों में खुलकर कस लिया दो पल तो हंगामा