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Kavita Kosh से
मेरे सीने पे रख कर हाथ – देखो
ये दिल की धड़कनें क्या कह रही हैं !
मेरी उलझन, मेरा आज़ार क्या है ?
किसी दिन दूर मुझसे जाके बैठो
मेरे बारे में थोड़ी देर सोचो