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वीरेन डंगवाल / परिचय

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[[वीरेन डंगवाल]] (५ अगस्त १९४७)[[साहित्य अकादमी पुरस्कार| साहित्य अकादमी]] द्वारा पुरस्कृत हिन्दी कवि हैं। उनका जन्म कीर्तिनगर, टेहरी गढ़वाल, [[उत्तराखंड]] में हुआ। उनकी माँ एक मिलनसार धर्मपरायण गृहणी थीं और पिता स्वर्गीय रघुनन्दन प्रसाद डंगवाल प्रदेश सरकार में कमिश्नरी के प्रथम श्रेणी अधिकारी। उनकी रूचि कविताओं कहानियों दोनों में रही है। उन्होंने मुजफ्फरनगर, सहारनपुर, कानपुर, बरेली, नैनीताल और अन्त में इलाहाबाद विश्वविद्यालय से शिक्षा प्राप्त की।<ref>{{cite web KKGlobal}}{{KKRachna|urlरचनाकार= http://rachanakar.blogspot.com/2007/05/six-poems-of-viren-dangwal.html|title=वीरेन डंगवाल की छह कविताएँ|accessmonthday=[[१४ जनवरी]]|accessyear=[[२००९]]|format= एचटीएमएल|publisher=रचनाकारअशोक कुमार शुक्ला|languageसंग्रह=}}</ref>
[[वीरेन डंगवाल]] (५ अगस्त १९४७)[[साहित्य अकादमी पुरस्कार| साहित्य अकादमी]] द्वारा पुरस्कृत हिन्दी कवि हैं। उनका जन्म कीर्तिनगर, टेहरी गढ़वाल, [[उत्तराखंड]] में हुआ। उनकी माँ एक मिलनसार धर्मपरायण गृहणी थीं और पिता स्वर्गीय रघुनन्दन प्रसाद डंगवाल प्रदेश सरकार में कमिश्नरी के प्रथम श्रेणी अधिकारी। उनकी रूचि कविताओं कहानियों दोनों में रही है। उन्होंने मुजफ्फरनगर, सहारनपुर, कानपुर, बरेली, नैनीताल और अन्त में इलाहाबाद विश्वविद्यालय से शिक्षा प्राप्त की।  पेशे से हिन्दी के प्रोफ़ेसर। शौक से बेइंतहा कामयाब पत्रकार। आत्मा से कवि। बुनियादी तौर पर एक अच्छे- सच्चे इंसान। उम्र ६० को छू चुकी। पत्नी रीता भी शिक्षक। दोनों बरेली में रहते हैं। वीरेन १९७१ से बरेली कॉलेज में हिन्दी पढाते हैं। उन्हें २००४ में उनके कविता संग्रह [[दुष्चक्र में सृष्टा]] के लिए साहित्य अकादमी द्वारा भी पुरस्कृत किया गया है।<ref>{{KKCatUttarakhandcite web |url= http://rachanakar.blogspot.com/2007/05/six-poems-of-viren-dangwal.html|title=वीरेन डंगवाल की छह कविताएँ|accessmonthday=[[१४ जनवरी]]|accessyear=[[२००९]]|format= एचटीएमएल|publisher=रचनाकार|language=}}</ref>  बाईस साल की उम्र में उन्होनें पहली रचना, एक कविता लिखी और फिर देश की तमाम स्तरीय साहित्यिक पत्र पत्रिकाओं में लगातार छपते रहे। उन्होनें १९७०- ७५ के बीच ही हिन्दी जगत में खासी शोहरत हासिल कर ली थी।  विश्व-कविता से उन्होंने पाब्लो नेरूदा, बर्टोल्ट ब्रेख्त, वास्को पोपा, मीरोस्लाव होलुब, तदेऊश रोजेविच और नाज़िम हिकमत के अपनी विशिष्ट शैली में कुछ दुर्लभ अनुवाद भी किए हैं। उनकी ख़ुद की कविताएँ बाँग्ला, मराठी, पंजाबी, अंग्रेज़ी, मलयालम और उड़िया में छपी है। वीरेन डंगवाल का पहला कविता संग्रह ४३ वर्ष की उम्र में आया। 'इसी दुनिया में' नामक इस संकलन को रघुवीर सहाय स्मृति पुरस्कार (१९९२) तथा श्रीकान्त वर्मा स्मृति पुरस्कार (१९९३) से नवाज़ा गया।  दूसरा संकलन 'दुष्चक्र में सृष्टा' २००२ में आया और इसी वर्ष उन्हें 'शमशेर सम्मान' भी दिया गया। दूसरे ही संकलन के लिए उन्हें २००४ का [[साहित्य अकादमी पुरस्कार]] भी दिया गया। समकालीन कविता के पाठकों को वीरेन डंगवाल की कविताओं का बेसब्री से इन्तज़ार रहता है। वे हिन्दी कविता की नई पीढ़ी के सबसे चहेते और आदर्श कवि हैं। उनमें [[नागार्जुन ]] और त्रिलोचन का-सा विरल लोकतत्व, [[निराला ]] का सजग फक्कड़पन और मुक्तिबोध की बेचैनी और बौद्धिकता एक साथ मौजूद है। पेशे से हिन्दी के प्रोफ़ेसर। शौक से बेइंतहा कामयाब पत्रकार। आत्मा से कवि। बुनियादी तौर पर एक अच्छे- सच्चे इंसान। उम्र ६० को छू चुकी। पत्नी रीता भी शिक्षक। दोनों बरेली में रहते हैं। वीरेन १९७१ से बरेली कॉलेज में हिन्दी पढाते हैं। उन्हें २००४ में उनके कविता संग्रह [[दुष्चक्र में सृष्टा]] के लिए साहित्य अकादमी द्वारा भी पुरस्कृत किया गया है।<ref>{{cite web |url= http://virendradangwal.blogspot.com/2008/11/blog-post.html|title= वीरेनदा के बारे में|accessmonthday=[[१४ जनवरी]]|accessyear=[[२००९]]|format= एचटीएमएल|publisher=वीरेन डंगवाल|language=}}</ref>--अशोक कुमार शुक्ला 06:13, 2 फ़रवरी 2012 (CST)
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