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उदगम की
पानी में घुलती जातीं
सूरज की किरणें-कलियाँ
लहरों पर खिलती जातीं
मीलों लम्बा अभी सफ़र
साँसें हैं कुछ शेष बचींबाकी है उत्साह अभी
थोड़ी-सी है कमर लची