भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
' १-उनका मन<br> ज्यूं पुरइन पात <br> भीगता नहीं |<br><br> २-सोन...' के साथ नया पन्ना बनाया
१-उनका मन<br>
ज्यूं पुरइन पात <br>
भीगता नहीं |<br><br>
२-सोने- सी भोर <br>
सिंदूरी -सी निखरी <br>
नई -नवेली |<br><br>
३-मेघों के घेरे <br>
चन्दा के आस-पास <br>
मन मचले |<br><br>
४-बंशी के स्वर <br>
क्यों काँप रहे आज <br>
राग क्यों रूठा ?<br><br>
५-सीप -बसेरे <br>
रेत के घरौदों में <br>
मोती न मिले |<br><br>
६-नेह -निबाह <br>
न होता अँधेरे में <br>
उजाले चाहे |<br><br>
७-रूप आभा से <br>
रोशन हो अन्धेरा <br>
सुखानुभूति |<br><br>
८-टिका लूं पैर <br>
ठोस धरातल पे <br>
तब तो उडूं |<br><br>
९-बदल देंगे <br>
गुरुत्वाकर्षण को <br>
सपने मेरे |<br><br>
१०-आत्मा में डूब <br>
चेतना की साधना <br>
तपस्यारत |<br><br>