भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

असंबद्ध / गीत चतुर्वेदी

13 bytes added, 10:52, 16 अप्रैल 2012
|रचनाकार=गीत चतुर्वेदी
}}
{{KKCatKavita}}<poem>
कितनी ही पीड़ाएँ हैं
 
जिनके लिए कोई ध्वनि नहीं
 
ऐसी भी होती है स्थिरता
 
जो हूबहू किसी दृश्य में बंधती नहीं
 
ओस से निकलती है सुबह
 
मन को गीला करने की जि़म्मेदारी उस पर है
 
शाम झाँकती है बारिश से
 
बचे-खुचे को भिगो जाती है
 
धूप धीरे-धीरे जमा होती है
 
क़मीज़ और पीठ के बीच की जगह में
 
रह-रहकर झुलसाती है
 
माथा चूमना
 
किसी की आत्मा चूमने जैसा है
 
कौन देख पाता है
 
आत्मा के गालों को सुर्ख़ होते
 
दुख के लिए हमेशा तर्क तलाशना
 
एक ख़राब किस्म की कठोरता है
</poem>
Delete, KKSahayogi, Mover, Protect, Reupload, Uploader
19,164
edits