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{{KKRachna
|रचनाकार= रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’
}}
[[Category: चोका]]
<poem>
मेरे सूरज
बादल तो आएँगे
घुमड़कर
अम्बर में छाएँगे
रोकें उजाला
तुम्हें सहना होगा
लहर बन
चट्टानों से टकरा
बहना होगा
पीछे नहीं मुड़ना
दूर है जाना
अँधेरे भँवर से
न घबराना
सागर तक जाना
आँसू पोंछके
डुबकी है लगाना
मोती बटोर लाना ।
-0-
</poem>
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|रचनाकार= रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’
}}
[[Category: चोका]]
<poem>
मेरे सूरज
बादल तो आएँगे
घुमड़कर
अम्बर में छाएँगे
रोकें उजाला
तुम्हें सहना होगा
लहर बन
चट्टानों से टकरा
बहना होगा
पीछे नहीं मुड़ना
दूर है जाना
अँधेरे भँवर से
न घबराना
सागर तक जाना
आँसू पोंछके
डुबकी है लगाना
मोती बटोर लाना ।
-0-
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