भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
बल्ला घुमाता है तब भी
एक नजर न आने वाली
ऐसे भी कोई खेल चलेगा, चुन्नू !
समय नहीं होगा
तुम ऐसे भागे, गिरे
हवा में उड़ती, उछलती गंेद गेंद के लिए
शायद उस समय का
निशान बच जाए कोई