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Kavita Kosh से
दृढ शिव-जूट जकड़ है.
गंगा की,
गंगा की लहर अमर है.
बाँध न शंकर
अपने सिर पर,
यह धरती का वर है.
गंगा की,
गंगा की लहर अमर है.
जह्नु न हठकर
अपने मुख धर,
तृपित जगत्-अंतर है.
गंगा की,
गंगा की लहर अमर है.
एक धार जल
देगा क्या फल?
भूतल सब ऊसर है.
गंगा की,
गंगा की लहर अमर है.
लक्ष धार हो
भूपर विचरो,
जग में बहुत जहर है.
गंगा की,
गंगा की लहर अमर है.