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|रचनाकार=शिवदीन राम जोशी
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चमकत है बिजरी गरजत घन श्याम श्याम,
कारे मतवारे बादर भी सुहावना।
बरसत ज्यूं फुवांरे पल पल मेघमाली के,
दादुर गीत गावें जैसे आये हो पावना।
मोरन की शोर मची पीहूं-पीहूं बोलि रहे,
कोयल के मधुर शब्द बारिश बरसावना।
कहता शिवदीन राम सबही को चैन भयो,
करो तो यकीन आया सावन मन भावना।
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