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Kavita Kosh से
हम कल्पना नहीं कर सकते
कि कैसे हम जियेंगे जिएँगे एक दूसरे के बिना
ऐसा हमने कहा
और तब से हम रहते हैं इसी एक छवि के भीतर
दिन-ब-दिन
एक दूसरे से दूर , उस मकान से दूर
जहाँ हमने वो शब्द कहे
कोई दर्द नहीं
वह तो आता है बाद में ...... '''अँग्रेज़ी से अनुवाद : शिरीष कुमार मौर्य'''
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