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Kavita Kosh से
वे क्या दिशा दिखाएँगे, दिखता जिनको आकाश नहीं
बहुत बड़े सतरंगे नक्शे नक़्शे पर
बहुत बड़ी शतरंज बिछी
धब्बोंवाली चादर जिसकी