भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=गुलज़ार |संग्रह= }} {{KKCatGhazal}} <poem> सपन...' के साथ नया पन्ना बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=गुलज़ार
|संग्रह=
}}
{{KKCatGhazal}}
<poem>
सपना रे सपना, है कोई अपना
अंखियों में आ भर जा
अंखियों की डिबिया, भर दे रे निंदिया
जादू से जादू कर जा
सपना रे सपना, है कोई अपना
अंखियों में आ भर जा ना
सपना रे सपना, है कोई अपना
अंखियों में आ भर जा ना
भूरे भूरे बादलों के भालू
लोरियां सुनाये लारा रा रु
तारों के कंचों से रात भर खेलेंगे
सपनों में चन्दा और तू
सपना रे सपना, है कोई अपना
अंखियों में आ भर जा
पीले पीले केसरी हैं गाँव
गीली गीली चांदनी की छाँव
बगुलों के जैसे रे डूबे हुए हैं रे
पानी में सपनों के पाँव
सपना रे सपना, है कोई अपना
अंखियों में आ भर जा
अंखियों की डिबिया, भर दे रे निंदिया
जादू से जादू कर जा
फिल्म - एक थी डायन(2013)
</poem>
{{KKRachna
|रचनाकार=गुलज़ार
|संग्रह=
}}
{{KKCatGhazal}}
<poem>
सपना रे सपना, है कोई अपना
अंखियों में आ भर जा
अंखियों की डिबिया, भर दे रे निंदिया
जादू से जादू कर जा
सपना रे सपना, है कोई अपना
अंखियों में आ भर जा ना
सपना रे सपना, है कोई अपना
अंखियों में आ भर जा ना
भूरे भूरे बादलों के भालू
लोरियां सुनाये लारा रा रु
तारों के कंचों से रात भर खेलेंगे
सपनों में चन्दा और तू
सपना रे सपना, है कोई अपना
अंखियों में आ भर जा
पीले पीले केसरी हैं गाँव
गीली गीली चांदनी की छाँव
बगुलों के जैसे रे डूबे हुए हैं रे
पानी में सपनों के पाँव
सपना रे सपना, है कोई अपना
अंखियों में आ भर जा
अंखियों की डिबिया, भर दे रे निंदिया
जादू से जादू कर जा
फिल्म - एक थी डायन(2013)
</poem>