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रोटी और संसद / धूमिल

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}}
{{KKCatKavita}}एक आदमी<brpoem>एक आदमीरोटी बेलता है<br>एक आदमी रोटी खाता है<br>एक तीसरा आदमी भी है<br>जो न रोटी बेलता है, न रोटी खाता है<br>वह सिर्फ़ रोटी से खेलता है<br>मैं पूछता हूंहूँ--<br>'यह तीसरा आदमी कौन है ?'<br>मेरे देश की संसद मौन है।<br><br> धूमिल की अंतिम कविता जिसे बिना नाम दिये ही वे संसार छोड़ कर चल बसे ।<br><br> शब्द किस तरह<br>कविता बनते हैं<br>इसे देखो<br>अक्षरों के बीच गिरे हुए<br>आदमी को पढ़ो<br>क्या तुमने सुना कि यह <br>लोहे की आवाज़ है या <br>मिट्टी में गिरे हुए खून <br>का रंग। <br><br> लोहे का स्वाद <br>लोहार से मत पूछो <br>घोडे से पूछो <br>जिसके मुंह में लगाम है।
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