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भेड़ / तुलसी रमण

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|संग्रह=ढलान पर आदमी / तुलसी रमण
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<Poem>
बुज़ुर्गों का कहना है
एक सछल, शरारती पुचकार के साथ,
करीब बुला लिया जाता है उसे
 
और वह निरीह
सहज चली आती है
 
बस
 
सुविधाजनक ढंग से
कैंची चलाकर
पर निरीह भेड़ ठगी-सी
बस ऊन होती है
या ख़ून।  
</poem>