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Kavita Kosh से
यह अकेलापन, अँधेरा, यह उदासी, यह घुटन
द्वार ती तो हैं बंद भीतर किस तरह झाँके किरण।
बंद दरवाज़े ज़रा-से खोलिए
तो ह्रदय का घाव ख़ुद भर जाएगा।
एक सीढ़ीहै सीढ़ी है ह्रदय में भी महज चर घर में नहीं
सर्जना के दूत आते हैं सभी होकर वहीं।