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|रचनाकार=शिवमंगल सिंह सुमन
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<Poem>
हम पंछी उन्मुक्त गगन के
आश्रय छिन्न-भिन्न कर डालो,
लेकिन पंख दिए हैं, तो
आकुल उड़ान में विघ्न न डालों।डालो।
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