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मरूं मरूँ तो मैं किसी चेहरे में रंग भर जाऊंजाऊँ|<br>नदीम! काश यही एक काम कर जाऊंजाऊँ|<br><br>
ये दश्त-ए-तर्क-ए-मुहब्बत ये तेरे क़ुर्ब की प्यास,<br>
जो इज़ां इज़ाँ हो तो तेरी याद से गुज़र जाऊंजाऊँ|<br><br>
मेरा वजूद मेरी रूह को पुकारता है,<br>
तेरी तरफ़ भी चलूं तो ठहर ठहर जाऊंजाऊँ|<br><br>
तेरे जमाल का परतो है सब हसीनों पर<br>
कहां कहां कहाँ कहाँ तुझे ढूंढूं ढूंढूँ किधर किधर जाऊंजाऊँ|<br><br>
मैं जि़न्दा ज़िन्दा था कि तेरा इन्तज़ार ख़त्म न हो,<br>जो तू मिला है तो अब सोचता हूं हूँ मर जाऊंजाऊँ|<br><br>
ये सोचता हूं कि मैं बुत-परस्त क्यूं क्यूँ न हुआ,<br>तुझे क़रीब जो पाऊं पाऊँ तो ख़ुद से डर जाऊंजाऊँ|<br><br>
किसी चमन में बस इस ख़ौफ़ से गुज़र न हुआ,<br>
किसी कली पे न भूले से पांव पाँव धर जाऊंजाऊँ|<br><br>
ये जी में आती है, तख़्लीक़-ए-फ़न के लम्हों में,<br>
कि ख़ून बन के रग-ए-संग में उतर जाऊंजाऊँ|<br><br>
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